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indian farming
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Tuesday 14 June 2016
Wheat(gehu) farming
Gehu ki vaigyanik kheti ki jankari – गेहूं
के खेती
Har Kisan bhai Gehu ki vaigyanik aur
unnat kheti kar ke lakon mein kama
sakte hain | जानिए गेहू के खेती
की jaankari, jise bol chal mein
Wheat bhi bola jata hai | अगर वैज्ञानिको
द्वारा बताए गए तरीको से गेहूँ
की खेती की
जाये तो किसानो को बहुत फायदा हो सकता है, बस
कुछ बातों का खास ख्याल रखना होगा जैसे
की खेती के लिए भूमि
कैसी होनी चाहिए, जलवायु
कैसी होनी चाहिए, सिंचाई व
बुआई कब करना चाहिए आदि । निचे हम आपको इन
सभी बातों के बारे में बतायेंगे जिससे
की आप गेंहूँ की
खेती भली भांति कर सकेंगे
।
गेहू की खेती कैसे
करें ? / How to do Wheat farming
Aaj ke daur mein kisan bhai Gehu ki
scientific tarike se kheti kar ke lakhon
mein aasani se kama sakte hain. Agar
sahi tarike se wheat ki kheti bhi ki
jaye to aap accha profit save kar
sakte hain. Iske alawa aap haldi ki bhi
kheti kar k e accha khasa profit kama
sakte hain. To chaliye jante hai Gehun
ki kheti kaise kare:
भूमि का चुनाव/तैयारी / Selection
of Land
गेहूं की खेती करने समय
भूमि का चुनाव अच्छे से कर लेना चाहिए । गेहूँ
की खेती में अच्छे फसल
के उत्पादन के लिए मटियार दुमट भूमि को सबसे
सर्वोतम माना जाता है। लेकिन पौधों को अगर
सही मात्रा में खाद दी जाए
और सही समय पर उसकी
सिंचाई की जाये तो किसी
भी हल्की भूमि पर गेहूँ
की खेती कर के अच्छे
फसल की प्राप्ति की जा
सकती है । खेती से पहले
मिट्टी की अच्छे से जुताई
कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए। फिर उस
मिट्टी पर ट्रेक्टर चला कर उसे समतल
कर देना चाहिए।
जलवायु
गेहूँ के खेती में बोआई के वक्त कम
तापमान और फसल पकते समय शुष्क और गर्म
वातावरण की जरुरत होती
हैं। इसलिए गेहूँ की खेती
ज्यादातर अक्टूबर या नवम्बर के महिनों में
की जाती हैं।
बुआई
गेहूँ की खेती में बिज बुआई
का सही समय 15 नवम्बर से 30
नवम्बर तक होता है । अगर बुआई 25 दिसम्बर के
बाद की जाये तो प्रतिदिन लगभग 30kg
प्रति हेक्टेयर के दर से उपज में कमी
आजाती है । बिज बुआई करते समय
कतार से कतार की दूरी
20cm होनी चाहिए ।
बीजोपचार
गेहूँ की खेती में
बीज की बुआई से पहले
बीज की अंकुरण क्षमता
की जांच जरुर से कर लेनी
चाहिए। अगर गेहूँ की बीज
उपचारित नहीं है तो बुआई से पहले
बिज को किसी फफूंदी नाशक
दवा से उपचारित कर लेना चाहिए ।
खाद प्रबंधन
गेहूँ की खेती में समय पर
बुआई करने के लिए 120kg नत्रजन(nitrogen),
60kg स्फुर(sfur) और 40kg पोटाश(potash)
देने की अवेश्यकता पड़ती
है । 120kg नत्रजन के लिए हमें कम से कम
261kg यूरिया प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करना
चाहिए । 60kg स्फुर के लिए लगभग 375kg
single super phoshphate(SSP) और
40kg पोटाश देने के लिए कम से कम 68kg म्यूरेटा
पोटाश का इस्तेमाल करना चाहिए ।
सिंचाई प्रबंधन
अच्छी फसल की प्राप्ति के
लिए समय पर सिंचाई करना बहुत जरुरी
होता है । फसल में गाभा के समय और दानो में दूध
भरने के समय सिंचाई करनी चाहिए ।
ठंड के मौसम में अगर वर्षा हो जाये तो सिंचाई कम
भी कर सकते है । कृषि वैज्ञानिको के
मुताबिक जब तेज हवा चलने लगे तब सिंचाई को कुछ
समय तक रोक देना चाहिए । कृषि वैज्ञानिको का ये
भी कहना है की खेत में
12 घंटे से ज्यादा देर तक पानी जमा
नहीं रहने देना चाहिए ।
गेहूँ की खेती में
पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन
बाद करनी चाहिए । दूसरी
सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और
तीसरी सिंचाई लगभग 80
दिन बाद करनी चाहिए ।
खरपतवार
गेहूँ की खेती में खरपरवार
के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत
कमी आ जाती है । इसलिए
इसका नियंत्रण बहुत ही
जरुरी होता है । बिज बुआई के 30 से
35 दिन बाद तक खरपतवार को साफ़ करते रहना
चाहिए । गेहूँ की खेती में दो
तरह के खरपतवार होते है पहला
सकड़ी पत्ते वाला खरपतवार जो
की गेहूँ के पौधे की तरह
हीं दिखता है और दूसरा
चौड़ी पत्ते वाला खरपतवार ।
खड़ी फसल की देखभाल
कृषि वैज्ञानिको का कहना है की गेहूँ का
गिरना यानि फसल के उत्पादन में कमी
आना । इसलिए किसानो को खड़ी फसल
का खास ख्याल रखना चाहिए और हमेशा
सही समय पर फफूंदी
नाशक दवा का इस्तेमाल करते रहना चाहिए और
खरपतवार का नियंत्रण करते रहना चाहिए ।
फसल की कटनी और
भंडारा
गेहूँ का फसल लगभग 125 से 130 दिनों में पक
कर तैयार हो जाता है। फसल पकने के बाद सुबह
सुबह फसल की कटनी
करना चाहिए फिर उसका थ्रेसिंग करना चाहिए ।
थ्रेसिंग के बाद उसको सुखा लें । जब बिज पर 10 से
12 percent नमी हो तभी
इसका भंडारण करनी चाहिए ।
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