bidvertiser

bidvertiser

1803920

indian farming

indian farming

Monday 13 June 2016

Onion (pyaj) farming

Pyaj ki Kheti Kaise Kare – प्याज की वैज्ञानिक खेती Aaj ki is daur mein kaise pyaj ki kheti kare ke log lakhon mein kama rahe hai. Janiye kya hai sahi kheti karne ke tarike, iske vaigyanik प्याज (onion) जिसे किसी भी सब्जी के साथ मिला दिया जाये तो उस सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है। प्याज बहुत दिनों तक खराब नहीं होता है। बाज़ार में इसका भाव बहुत हीं बढ़िया मिलता है इसलिए प्याज की खेती करने से किसानो को बहुत फायदा मिल सकता है । तो आइये जानते है प्याज की खेती कैसे करने से हमें ज्यादा profit हो सकता है । प्याज की खेती कैसे करे / Payaj ki Vaigyanik Kheti Aaj ke is daur mein pyaj ki kheti ek aisa business hai jise kisan bhai uga kar lakhon mein kama sakte hain. Agar aap onion ki kehti karne ki soch rahe hai to niche diye gaye tips ko follow kar ke accha khasa kama sakte hain. Iske saath saath thodi se jagah mein aap anar phal ki kheti bhi kar sakte hain aur adhik labh kama sakte hain. To aiye jante hai kaise kare pyaj ki adhunik tarike se aur kamay dhre sare paise. जमीन/ भूमि की तैयारी प्याज की सफल खेती में 5.8 से 6.5 के बिच के पी.एच. मान वाले जीवांशयुक्त हल्की दोमट भूमि या बलूई दोमट भूमि को श्रेष्ठ माना जाता है। खेती करने से पहले भूमि की अच्छे से साफ़ सफाई कर के उसे भुरभुरा बना लेना चाहिए। जलवायु प्याज की खेती हर तरह की जलवायु में किया जा सकता है बस थोड़ी सी सावधानी से काम लिया जाये तो प्याज की अच्छी उत्पादन संभव है। इसकी खेती के लिए ना ज्यादा गर्मी ना ज्यादा ठंड का मौसम सबसे सर्वोतम होता है । इसलिए छत्तीसगढ़ को प्याज के उत्पादन के लिए अनुकुल माना जाता है । कृषि वैज्ञानिको द्वारा प्याज की खेती पर तापमान का गहरा प्रभाव पड़ता है । अच्छी वृद्धि के लिए 20 डिग्री से. से 27 डिग्री से. तक का तापमान प्याज में अच्छी बढ़त लाता है। फल पकने समय तापमान 30 डिग्री से. से 35 डिग्री से. तक मिल जाये तो और भी बेहतर होता है । प्याज की प्रजाती प्याज के 3 प्रकार प्रमुख है जो रंगों के आधार पर है :- लाल रंग के प्याज :- इस रंग के प्याज में उन्नत किस्म के प्याज की प्रजाती का नाम है जैसे उषा रेड, उषा माधवी ,पंजाब सिलेक्शन , अर्का निकेतन, ऐग्री फाउंड dark red, ऐग्री फाउंड light red आदि । पीले रंग के प्याज:- इस किस्म के नाम इस प्रकार हुआ करते है – early green, brown spanish आदि। सफ़ेद रंग के प्याज :- इसके नाम इस प्रकार के है – उषा white, उषा round, उषा flat, आदि । सिचाई / जल प्रबंधन खेती करने के दवरान जल प्रबंधन का खास ध्यान रखना चाहिए। रबी के प्याज के लिए समय समय पर 10 से 12 बार सिचाई की जरुरत होती है। गर्मी में एक सप्ताह के अंतराल में और ठंड के मौसम में 15 दिनों में सिचाई करनी चाहिए। रबी के फसल में जब पत्ते पीले होने लगे तो सिचाई 15 दिन के लिए रोक देनी चाहिए जिससे पीले पत्ते सुख जाए और फिर खुदाई करके निकाले जा सके। खाद प्रबंधन कृषि वैज्ञानिको के द्वारा प्याज की खेती के लिए 300 से 350 क्विंटल अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेकटेयर की दर से भूमि तैयारी के समय ही मिला देनी चाहिए। नत्रजन(nitrogen) 80 kg, फास्फोरस (phasphoras) 50 kg, और पोटाश(potash) 80 kg प्रति हेक्टेयर की आवश्कता पड़ती है। पोटाश और फास्फोरस की पूरी मात्रा और नत्रजन की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के साथ या रोपाई से पहले भूमि में मिला देनी चाहिए। बाकि आधी बची हुई नत्रजन दो बार में पहला रोपाई के 30 दिनों के बाद और दूसरा 45 दिनों के बाद छिड़काव के साथ दे । खरपतवार की सफाई इसके फसल में खरपतवार को निकालना आवश्यक होता है अन्यथा उपज काफी प्रभावित होती है । इसको नियंत्रित करने के लिए रोपाई से पहले 2kg वासालीन प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि में छिड़क कर मिला दे और फिर 45 दिनों के बाद एक जुताई कर के खरपतवार को नियंत्रित किया जाना चाहिए । चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2.5kg टेनोरान प्रति हेक्टेयर की दर से 800 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई के 20 से 25 दिनों के बाद छिड़काव किया जाना चाहिए । किट पतंग / रोग नियंत्रण प्याज की फसल में पाए जाने वाले बैगनी धब्बा रोग सबसे प्रमुख रोग होते है। इस रोग में पत्तियों पर आरम्भ में पीले से सफ़ेद धसे हुए धब्बे लगते है जिनके बिच का भाग बैगनी रंग का होता है । यह रोग तेजी से बढ़ता है और पत्तियों से फैलकर बिच के स्तंभों में पहुँच जाता है । इस रोग के प्रभाव से प्याज का भंडारण करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इस दरम्यान प्याज अधिक मात्रा में गलने लगता है । इस रोग के लगते हीं इसमें कोई फफूंदनाशक दवा जैसे copper oxychloride का वैज्ञानिक विधि इस्तेमाल करके इस रोग से बचा जा सकता है। इसके अलावा कुछ किट ऐसे भी होते है जो प्याज के पत्तो के बाहरी त्वचा को खरोच कर रस चूसते है जिससे पत्तियों पर असंख्य छोटे छोटे सफ़ेद धब्बे बन जाते है । समय रहते अगर किसान इसे नियंत्रित नहीं कर पाए तो प्याज में निरुपता आ जाती है साथ हीं लगभग 25% उपज कम हो जाती है । Jab payaj ki fasal tayyar ho jaye to mandi mein yaa phir sidhe khudra bajar mein jaa kar bech dein aur accha fayde kamaye.

No comments:

Post a Comment