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indian farming
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Monday 13 June 2016
Garlic(lahsun) farming.
Lahsun ki Vaigyanik Kheti – लहसुन
की खेती
Yakin maniye Lahsun ki uchit kheti kar
ke aap lakho mein kama sakte hain.
Jahan tak kaise kare ka sawal hai,
apke pass kewal acchi jankari aur
Vaigyanik tarike ko apnakar start kiya
jaa sakta hai. लहसुन की
खेती को अगर कृषि वैज्ञानिक के बताए
गए तरीके से की जाये तो
किसानो को बहुत कम खर्च में अच्छा benefits हो
सकता है । अगर भूमि और फसल की
अच्छे से देखभाल की जाये तो किसानो को
प्रति hectare 100 से 200 क्विंटल उपज मिल
जाती है। वैज्ञानिको द्वारा लहसुन
की खेती के लिए
कैसी भूमि होनी चाहिए, खेत
में कब और कितना खाद देना चाहिए, कब कब सिंचाई
करनी चाहिए आदि की
जानकारी हम आपको निचे बताएँगे ।
Lahsun ki Kheti Kaise Kare
Agar aapke pass badi se jamin hai
aur sahi tarike se Garlic ki kheti ki
jaye to aap lakhon mein aasani se 3
months mein kama sakte hai. Iske liye
aapko Vaigyanik tarike ko apnakar
lahsun ki uchit kheti karni hogi aur
hard work ke saath aap isse accha
business kar sakte hai.
खेती के लिए भूमि का चयन/
Selection of Land
लहसुन की खेती के लिए
दोमट भूमि जिसमे जल निकलने की
प्रबंध अच्छी हो उसे सबसे उत्तम
माना जाता है । लहसुन की
खेती शुरु करने से पूर्व भूमि
की जुताई कर के उसे भुरभुरा बना कर
उसपर पाटा चला देना चाहिए इससे
भुरभुरी भूमि फिर से समतल हो
जाती है ।
खेती के लिए जलवायु
लहसुन की खेती के लिए
ठंडी जलवायु की जरुरत
पड़ती है क्योंकि ठंड में दिन छोटा होने के
कारण कंद का उत्पादन अच्छे से होता है ।
लहसुन की खेती समुद्र के
level से 1000-1400m तक कि ऊंचाई पर
की जा सकती है। लहसुन
की खेती के लिए लगभग
30 से 35 डिग्री से. तक का
temperature और लगभग 10 घंटे का दिन को
उत्तम माना जाता है ।
बीजोपचार / बीज बुवाई
लहसुन की खेती में
बीज बुवाई से पूर्व बीजों को
Kerosene से उपचारित कर लेना चाहिए।
बीज बोने के लिए भूमि को 4 से 5cm
गहरा खोद लेना चाहिए। फसल की
अच्छी उपज हेतु लहसुन को डबलिंग
विधि से बोना चाहिए । बुवाई करने वक्त कतार से
कतार की दुरी लगभग
15cm और पौधों से पौधों की
दूरी लगभग 8cm होनी
चाहिए ।
खाद प्रबंधन
लहसुन के अधिक उत्पादन के लिए एक एकड़ के
हिसाब से लगभग 25 ton सड़ी हुई
गोबर की खाद को खेत में डाल दें। इसके
अलावा 50kg भू-पावर, 40 kg माइक्रो
फर्टीसिटी कम्पोस्ट ,
10kg माइक्रो भू-पावर, 10kg सुपर गोल्ड
कैल्सीफर्ट, 50 kg अरंडी
की खली और 20kg
माइक्रो नीम, को अच्छी
तरह एक साथ mix कर के तैयार लें और फिर खेत
में समान मात्रा में बिखेर कर जुताई कर खेत तैयार
करें उसके बाद बीज की
बुवाई करे | .
बीज बोने के लगभग 25 दिन बाद उसमे
1 kg सुपर गोल्ड मैनिशियम और 500 माइक्रो झाइम
को 400ml पानी में घोल बनाकर पम्प
द्वारा खेत में छिड़काव करें उसके बाद हर 15 से 20
दिन के interval में दूसरा और तीसरा
छिड़काव करे ।
खरपतवार नियंत्रण
लहसुन की खेती में
खरपतवार को नष्ट करने हेतु इसकी
निराई गुड़ाई जरुर से करें। पहली निराई
गुड़ाई बीज बोने के लगभग 25 दिन बाद
खुरपी से करें । फिर दूसरी
निराई गुड़ाई लगभग 50 दिन के बाद करें।
सिंचाई /जल प्रबंधन
लहसुन की खेती में फसल
की वृद्धि हेतु भूमि में नमी
का होना जरुरी होता है इसलिए
बीज बोने के तुरंत बाद
पहली सिंचाई कर देनी
चाहिए । उसके बाद हर 15 days के interval में
खेत की सिंचाई करनी चाहिए
।
रोग / किट नियंत्रण
लहसुन में लगने वाले रोग व किट इस प्रकार के होते
है :-
थ्रिप्स किट :– थ्रिप्स किट दिखने में छोटे छोटे व
पीले(yellow) रंग के होते है जो
की पत्तियों का रस चूस कर उसपर
सफ़ेद रंग के धब्बा बना देते है । इस किट से बचाव
के लिए नीम का काढ़ा बना कर माइक्रो
झाइम के साथ mix कर के 250ml
पानी में घोल कर पम्प से खेत में
छिड़काव करें ।
बैंगनी धब्बा रोग :- इस रोग में पत्तो पर
और तने पर छोटे छोटे गुलाबी(pink) रंग
के धब्बे हो जाते है। इस रोग से बचाव के लिए
नीम का काढ़ा बना कर माइक्रो झाइम के
साथ mix कर के 250ml पानी में घोल
कर पम्प से खेत में छिड़काव करें ।
स्टेमफिलियम ब्लाईट रोग :- नम weather में लगने
वाला यह रोग फफूंदी के कारण होता है।
इस रोग से बचाव के लिए नीम का काढ़ा
बना कर माइक्रो झाइम के साथ mix कर के 250ml
पानी में घोल कर पम्प से खेत में
छिड़काव करें ।
फसल की खुदाई
लहसुन का फसल 2 month में ready हो जाता
है । जब लहसुन का फसल तैयार हो जाता है तो
उसके पत्ते पीले हो कर नष्ट हो जाते
है। फसल तैयार होने के बाद कंदों को पौध सहित
खोद कर उखाड़ लेना चाहिए फिर उसका बण्डल
बनाकर 3 से 4 दिन तक धुप में सुखाया जाना चाहिए
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