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indian farming

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Wednesday 15 June 2016

Lady finger (bhindi) farming..

Hindi Remedy Bhindi ki Kheti Kaise Kare aur Jankari – भिंडी खेती Agar aap Bhindi jise ladyfinger bhi bolte hai uksi kheti ke bare mein jankari chahte hai ya ise kaise kare to yahan par ako kuch acchi Bhindi farming ki information mil sakti hai | बाजार में बिकने वाली हरी सब्जियों में से एक सब्जी भिंडी(ladyfinger) भी होती है जो की लोगो के बिच बहुत हीं लोकप्रिय है। भिंडी में protien, carbohydrate, vitaminA, vitaminC, और vitaminB2 पाई जाती है। इसमें iodien की मात्रा अधिक पाई जाती है। अतः भिंडी की खेती करने से किसानो को बहुत लाभ हो सकता है। अगर आप भी भिंडी की खेती करने की सोच रहे है तो निचे दिए गए तरीको से खेती करे इससे आप कम खर्च में अधिक लाभ पा सकेंगे । भिंडी की खेती कैसे करे / Bhindi ki Kheti Kaise Kare Agar aap Bhindi ki farming karna chahte hai to aapko vaigyanik / scientific tareke se kheti karni hogi taki kam sama mein munafa kamaya jaa sake. Agar thik thara se kiya jaye to aap saath he saath tamatar ki uchit kheti kar ke lakho kama sakte hain. To chaliye jante hai ladyfinger farming step by step in Hindi language: भिंडी की खेती के लिए जलवायु अच्छे फसल की प्राप्ति के लिए सही मौसम की जानकारी होना बहुत हीं जरुरी होता है। मौसम की सही जानकारी ना होने से खेती में नुकसान हो सकता है । भिंडी की खेती करने के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। अच्छे फल की उत्पादन के लिए कम से कम 20 डिग्री से. तक का तापमान होना चाहिए। 40 डिग्री से. से अधिक तापमान होने पर फुल झड़ जाते है। भूमि की तैयारी खेती शुरू करने से पहले भूमि और मिट्टी दोनों की अच्छे से inspection कर लेना चाहिए इससे अच्छे फसल की प्राप्ति होती है। वैसे तो भिंडी की खेती किसी भी तरह के भूमि पर किया जा सकता है। लेकिन हल्की दोमट मिट्टी जिसमे जल निकासी अच्छी हो इसकी खेती के लिए सर्वोतम है। अतः भिंडी की खेती करने के लिए भूमि की कम से कम 2,3 बार जुताई कर के उसे फिर से समतल कर देना चाहिए। बिज / रोपन गर्मी के मौसम में 1 हेक्टेयर भूमि में लगभग 20kg बिज रोपने के लिए उत्तम होता है। वर्षा के मौसम में लगभग 15kg बिज रोपने के लिए काफी होता है। बिज में अच्छे अंकुर होने के लिए बिज को रोपने से पहले कम से कम 24 घंटे तक पानी में डाल कर छोड़ देना चाहिए। गर्मी के मौसम में भिंडी की रोपाई करना सबसे सर्वोतम होता है । भिंडी की रोपाई एक कतार (line) से करना चाहिए और हर line की दूरी कम से कम 25 से 30cm होनी चाहिए। रोपाई के वक़्त दो पौधों के बिच की दूरी कम से कम 20cm होनी चाहिए। वर्षा के मौसम में दो line की दूरी लगभग 40cm और दो पौधों के बिच की दूरी लगभग 30cm होनी चाहिए। गड्ढे की खोदाई/ खाद बिज रोपने से 20 दिन पहले गड्ढे की अच्छे से खोदाई कर के उसमे से सरे खरपतवार साफ़ कर लेना चाहिए । उसके बाद बिज रोपने के कम से कम 15 दिन पहले गड्ढे में लगभग 300 क्विंटल सड़ा हुआ गोबर का खाद मिला देना चाहिए । खाद के मुख्य elements में नत्रजन (nitrogen)-60kg, सल्फर (sulphur)- 30kg, और पोटाश (potash)-50kg को प्रति हेक्टर की दर से मिट्टी में देना चाहिए । बिज रोपने से पहले भूमि में nitrogen की आधी और sulphur,potash की पूरी मात्रा देनी चाहिए। बिज रोपने के बाद लगभग हर 30 दिन के अंतर पर nitrogen की बची हुई मात्रा को दो बार कर के देना चाहिए । किट/रोग से बचाओ भिंडी के पौधों में लगने वाले रोग व किट 4 प्रकार के होते है :- पीत शिरा रोग इस रोग की वजह से भिंडी के पौधों की पत्तियां और फुल पूरी तरह से पीली हो जाती है जिसकी वजह से पौधे का विकाश रुक जाता है । वर्षा के मौसम में इस रोग के लगने की सम्भावना अधिक होती है । इस रोग से प्रभावित हुए पौधे को जड़ से उखाड़ कर फेक देना चाहिए। इस रोग से बचने के लिए 1ml आक्सी मिथाइल डेमेटान को पानी में मिला कर पम्प द्वारा भिंडी के खेत में छिड़काव करना चाहिए । चूर्णिल आसिता इस रोग की वजह से भिंडी के पौधो की निचली पत्तीओं पर सफ़ेद चूर्ण जैसा पिला दाग पड़ने लगता है जो की बहुत हीं तेजी से बढ कर पुरे पौधे में फ़ैल जाती है । इसे जल्द से जल्द ना रोकने पर फल की 30% उत्पादन कम हो जाती है । इस रोग से बचने के लिए 2 kg गंधक(sulphur) को 1 लीटर पानी में घोल कर कम से कम 2,3 बार इसका छिड़काव करना चाहिए । उसके बाद हर 15 दिन पर इसका छिड़काव करते रहना चाहिए । प्ररोह / फल छेदक किट नाजुक तने में छेद कर देती है जिसकी वजह से तना सूखने लगता है और साथ ही साथ फुलो पर भी आक्रमण करती है जिसकी वजह से फल लगने से पहले फुल गिर जाते है । ज्यादातर ये किट वर्षा के समय लगती है। अतः इससे बचने के लिए सबसे पहले प्रभावित फूलो और तनों को काटकर फेक दे फिर 1.5 ml इंडोसल्फान को प्रति लीटर पानी में मिला कर कम से कम 2 से 3 बार इसका छिड़काव करे । जैसिड ये किट भिंडी के पौधे में लगे फुल,फल,पत्तियां और तने का रस चुसकर इन सब को नुकसान पहुंचती है जिसकी वजह से सरे प्रभावित फुल,फल,पत्तियां और तने गिर जाते है । उपज और फल की तोड़ाई किसानो को भिंडी की खेती गर्मी के मौसम में करने से ज्यादा benefit हो सकता है क्योंकि सभी मौसम के अपेक्षा गर्मी के मौसम में भिंडी की उपज अधिक होती है (कम से कम 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टर तक)। लगभग 50 से 60 दिनों में फलो की तोड़ाई शुरु कर दी जाती है। फल की तोड़ाई हर 5 से 6 दिन के अंतर पर करनी चाहिए ।

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