bidvertiser

bidvertiser

1803920

indian farming

indian farming

Wednesday 15 June 2016

Radish(mUlee) farming...

मूली की खेती मूली सामान्य विवरण:- मूली, सलाद के रूप में उपयोग की जाने वाली सब्जी है। उत्पत्ति स्थान भारत तथा चीन देश माना जाता है। सम्पूर्ण देश में विशेषकर गृह उद्यानों में उगाई जाती है। मूली में गंध सल्फर तत्व के कारण होती है। इसे क्यारियों की मेड़ों पर भी उगा सकते हैं। बीज बोने के 1) माह में तैयार हो जाती है। फसल अवधि 40-70 दिनों की है। औसत उपज प्रति हेक्टर 100 से 300 क्विंटल होती है। शीघ्र तैयार होने वाली सब्जी है। मूली की जड़ों में गन्धक, कैल्शियम तथा फाॅस्फोरस होता है। मूली की जड़ों का उपयोग किया जाता है, जबकि पत्तियों में जड़ों की अपेक्षा अधिक पोषक तत्व होते हैं। कैल्शियम, फाॅस्फोरस, आयरन खनिज मध्यम तथा विटामिन ‘ए’ अत्यधिक मात्रा में होता है। विटामिन ‘सी’ मध्यम होता है। वर्ष में तीन बार उगाई जा सकती हैं। गर्म, तेज-तीखा स्वाद, पाचक, कोष्ठवध्यता दायक, कृमिनाशक, वातनाशक, अनतिव ;।उमदवततीमंद्ध गाँठ, बवासीर में उपयागी। हृदय रोग, खाँसी, कुष्ठ रोग, हैजा में लाभदायक; उदर वायु रोग और गर्मी रोग में आरामदायक। रस कान के दर्द में आरामदायक (आयुर्वेद)। आवश्यकताएँ: जलवायु, भूमि, सिंचाई – शीतल जलवायु उपयुक्त होती है किन्तु गर्म वातावरण भी सह सकती है। 15 C से 20 C तापक्रम उपयुक्त माना जाता है। सभी प्रकार की भूमि उपयुक्त होती है, किन्तु भूमि में जड़ों के विकास के लिए भुराभुरापन रहना आवश्यक है। जल निकास भी आवश्यक है। भारी भूमि में जड़ो का विकास ठीक से नहीं होता है। इसलिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है। सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है, 10-15 दिन के, अन्तर से सिंचाई की जा सकती है। मेड़ों पर लगी हुई फसल को अलग से पानी देने की आवश्यकता नहीं होती है। खाद एवं उर्वरक – 100 क्विंटल गोबर की खाद या कम्पोस्ट, 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस तथा 100 किला पोटाश प्रति हेक्टर आवश्यक है। गोबर की खाद, फास्फोरस तथा पोटाश खेत की तैयारी के समय तथा नाइट्रोजन दो भागों में बोने के 15 और 30 दिनों के अन्तर से देनी चाहिए। उर्वरक सामान्य विधि से देने चाहिए। उद्यानिक क्रियाएँ: बीज विवरण – प्रति हेक्टर बीज की मात्रा – 5-10 किलो बोने के समय अनुसार प्रति 100 ग्रा. बीज की संख्या – 30,000-45,000 अंकुरण – 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता की अवधि – 3-5 वर्ष बीज बोने का समय – समय – सितम्बर से जनवरी तक अन्तर – कतार – 30 सेमी., बीज-15 सेमी.। बीजों को क्यारियों में या क्यारियों की मेड़ों पर कतारों में बोना चाहिए। मिट्टी चढ़ाना – जड़ों को ढकने के लिए मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है, क्यांेकि जड़ें अधिकतर भूमि के बाहर आ जाती हैं। खुदाई – जड़ों को कड़ी होने से पहले मुलायम अवस्था में ही खोद लेनी चाहिए।

No comments:

Post a Comment